September 18, 2014

"ये ज़िंदगी………
रफ़्ता -रफ़्ता  आगे बढ़ती
उम्र के साथ पूरी होती
कभी सपनो के पीछे भागती
तो कभी प्रारब्ध से हारती
करनी के संग-संग
पाप और पुण्य के खाते में
लम्हा-लम्हा दर्ज़ होती
ये ज़िंदगी ………" 

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