December 14, 2020

 प्रेम

सागर में ठहरी नदी जैसा 

नदी में थम गयी लहर सा

लहर पर रुके स्पंदन जैसा

स्पंदन में अटकी बूँद सा

इतना गहरा था मेरा मन.......


नैनों से ढलकी बूँद में

अधरों के कंपित स्पंदन में

दबी हँसी की लहर में

अंतस की गहरी नदी में 

पढ़ लिया था मैंने मन तुम्हारा..



June 26, 2020

हाँ!मैं ख़ुश हूँ.... ये कहने से पहले वो,
सुनती है..अपनी मौन अकुलाहटों का कोलाहल,
देखती है....अदृश्य अवसादों की धुंध के उस पार,
और पढ़ती है ...अपना मन ,जो सदा रहा अपठित।