'उड़ना है मुझे छू कर क्षितिज का सुनहरा आकाश,
चाहिए बस थोड़ी सी जगह पंख फैलाने के लिये………
उतरना है पार मुझे चुन कर सागर से मोती ,
चाहिए बस इक लहर बह जाने के लिये……
चमकना है मुझे पाकर सूरज की लालिमा,
चाहिए बस इक किरण राह दिखाने के लिये……….
हाँ! जीना है मुझे लेकर अपनी ही पहचान ,
चाहिए बस इक पुकार नींद से जगाने के लिये……… '