प्रेम
सागर में ठहरी नदी जैसा
नदी में थम गयी लहर सा
लहर पर रुके स्पंदन जैसा
स्पंदन में अटकी बूँद सा
इतना गहरा था मेरा मन.......
नैनों से ढलकी बूँद में
अधरों के कंपित स्पंदन में
दबी हँसी की लहर में
अंतस की गहरी नदी में
पढ़ लिया था मैंने मन तुम्हारा..