January 09, 2016

False ceiling in our personality

कल अपनी एक दोस्त के ऑफिस जाना हुआ। कमरे में घुसते ही लग गया कि ,उसने अपने ऑफिस में नए तरह से साज-सज्जा करवाई है। मेरे पूछने पर उसने बताया कि , क्लाइंट्स पर प्रभाव डालने के लिए ऑफिस का भी सुन्दर होना कितना ज़रूरी है। उसने कमरे की फॉल्स सीलिंग दिखाते हुए कहा कि ,पहले ऊपर से आ रही सीलन के कारण दीवारें खराब लगती थीं। अब सारा कुछ फॉल्स सीलिंग के पीछे छिप  गया और कमरे की सुंदरता भी बढ़ गयी। मैं कुछ देर बैठने के बाद जब वहां से चली तो दिमाग में फॉल्स  सीलिंग ही छाई  रही। अचानक ही मन में ख्याल आया -हमारे व्यक्तित्व में भी कई बार कितना कुछ छिपा होता है। जाने-अनजाने हम सभी अपने व्यक्तित्व में फॉल्स सीलिंग बना ही लेते हैं  और जो छिपा रहे हैं उसे अक्सर अनदेखा करते रहते हैं। दरअसल आज की तेजरफ्तार और दिखावा पसन्द ज़िन्दगी में यह एक व्यावहारिक ज़रुरत भी बन गया है। पर लुका -छिपी के इस खेल में हम दोहरे व्यक्तित्व के स्वामी बन जाते हैं, जो आगे चल कर घातक सिद्ध होता है। चलिए माना कि ,हमें अपने व्यक्तित्व के हर पहलू  को सबके सामने खोल कर नहीं रख देना चाहिए ,पर हमें हमारी फॉल्स  सीलिंग के पीछे भी झाँकते  रहना चाहिए और वहां जो  छिपा है ,उसके प्रति हमेशा सजग रहना चाहिए। क्योंकि कई बार हमारे व्यक्तित्व का अनदेखा पहलू  ही हमारी परेशानियों का सबब होता है।