September 18, 2014

"ये ज़िंदगी………
रफ़्ता -रफ़्ता  आगे बढ़ती
उम्र के साथ पूरी होती
कभी सपनो के पीछे भागती
तो कभी प्रारब्ध से हारती
करनी के संग-संग
पाप और पुण्य के खाते में
लम्हा-लम्हा दर्ज़ होती
ये ज़िंदगी ………" 

September 11, 2014

मुक्तक

"भीतर मन में बेचैनी  ,बाहर बड़े झमेले हैं ,
छुद्र स्वार्थ भरे जग में ,सुख -दुःख के सब  मेले हैं
कैसे छूटेगा जन्म-मरण का चक्र ये शाश्वत
हर पल मन तड़पे  है   ,मुक्ति  की राह टटोले है "

September 07, 2014

मुक्तक

"क्या होगा कल जीवन में ,किसे पता है
सोचा न आज ये ,बस इक यही खता है
झूठे सब रिश्ते नाते ,ये जग के बंधन
बस यही सत्य -जीवन की क्षणभंगुरता है "

September 06, 2014

"ये पल जीवन के "

"कुछ पल जीवन में होते हैं कितने भारी
और कुछ होते हैं कितने हलके
कुछ में बिखर जाते हैं मन के मनके
तो कुछ गुज़र जाते हैं हवा सा छू के
जी लो जीवन का हर लम्हा -लम्हा
हिस्से हैं ये ,इस जीवन में प्रारब्ध के "

September 04, 2014

जिन्हें देख कर सीखा
हँसना ,खिलखिलाना
बोलना ,चलना और दौड़ना
जिनसे सीखा
खुश रहना
ग़म सहना
नेकी करना
झुकना और स्वाभिमान
से सिर उठाना
जिसने सिखाया
गिर कर उठना
और सहला कर
चोट को आगे बढ़ जाना
वही माता-पिता मेरे
प्रथम गुरु !