मुक्तक
"क्या होगा कल जीवन में ,किसे पता है
सोचा न आज ये ,बस इक यही खता है
झूठे सब रिश्ते नाते ,ये जग के बंधन
बस यही सत्य -जीवन की क्षणभंगुरता है "
"क्या होगा कल जीवन में ,किसे पता है
सोचा न आज ये ,बस इक यही खता है
झूठे सब रिश्ते नाते ,ये जग के बंधन
बस यही सत्य -जीवन की क्षणभंगुरता है "
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