September 05, 2012

आज सुबह सो कर उठी तो किसी दूसरी बात के संदर्भ में याद आया कि, आज पांच सितम्बर है, मन में कोई और विचार आता ,इससे पहले एकदम ध्यान में आया कि, आज तो शिक्षक दिवस भी है।वैसे तो हर साल ही आता है ,पर इस बार न जाने क्यूँ मन बचपन से बड़े होने तक अपने सारे  शिक्षकों की ओर मुड़ गया . फिर क्या था मै  रसोई में काम करती गयी और पुरानी  यादों में खोती  गयी।अब दोपहर को यादों का पिटारा खोलने बैठी हूँ तो सबसे पहले बारी Miss James की जो class fifth में हमारी क्लास टीचर थीं .वो मुझे बहुत प्यार करती थीं।मै  कई बार उनके साथ उनके घर भी गयी थी।उस उम्र में क्लास टीचर के घर जाना बहुत बड़ी उपलब्धि थी।जीवन में पहली बार केक का स्वाद भी मैंने उन्ही के यहाँ चखा था।उनसे जुडी बहुत सी यादों की झलकियाँ आज भी ज़ेहन में हैं। मुझे अच्छी तरह याद है,जिस दिन हमारी क्लास की ग्रुप फोटो खिंचनी थी, उन्होंने सबसे पहले मुझे बुला कर अपनी बगल में बैठा लिया था।class sixth की हमारी क्लास टीचर सरोजिनी मिस भी मेरी बड़ी प्रिय टीचर थीं। उस साल state-level पर लखनऊ में एक बाल-मेले का आयोजन हुआ था।मिर्जापुर से हमारे स्कूल की टीम गयी थी जिसमे मै  भी थी और टीचर्स के दल में सरोजिनी मिस भी थी। चलते समय पापा ने सरोजिनी मिस को पच्चीस रुपये दिए,मेरे ऊपरी  खर्चों के लिए।मैंने अपने चार दिन के लखनऊ प्रवास के दौरान खूब मजे किये।मेले में घूम-घूम कर खाया-पिया और शायद कुछ ख़रीदा भी होगा -सब सरोजिनी मिस के पर्स के बूते।जिस दिन हम वापस अपने घर लौटे मुझे तेज बुखार था।मै  घर आकर बुखार में पड़ी सोती रही।उस शाम जब मै  सोकर उठी ,तब माँ ने बताया कि  सरोजिनी मिस मुझे देखने आई थीं और पच्चीस रुपये भी वापस कर गयीं-ऐसी ममतामयी थीं मेरी टीचर .वो जहाँ भी हैं ,उन्हें मेरा नमन!बड़े होने पर कपूर मैम,वीणा मैम ,रोहन दत्त मैम ,रीता मैम ,प्रेम सर .........................बहुत सारे अच्छे अच्छे टीचर्स मिले। आज इतने सालों बाद सभी को याद करके बहुत अच्छा  लग रहा है।हाँ टीचर्स के साथ शरारतों की भी यादें हैं ......class tenth में हमारी English teacher का नाम इला अधिकारी था,जिन्हें हम सब जिला अधिकारी कहते थे और जिस दिन उन्हें यह बात पता लगी थी उन्होंने जिला अधिकारी की तरह ही हमारी पूरी क्लास को पूरे एक घंटे धूप  में खड़ा रहने का फरमान सुनाया था।स्कूल के टीचर्स तो छूट गए ,मगर जाते-जाते बता दूँ  कि जीवन में मेरे पहले और आखिरी शिक्षक मेरे माता-पिता ही हैं।जिनसे मैंने सीखा गिर कर उठना और घुटनों पर या फिर दिल पर  लगी चोट को सहला कर आगे बढ़ जाना। मै  खुशनसीब हूँ ,कि  वो आज भी मेरे साथ हैं।