लघु कथा -"दौरा "
आज कृषि राज्य मंत्री सूखे की मार झेल रहे गाँव हरितपुर का दौरा करने वाले हैं। हैलीपैड बनाने के लिए हज़ारों लीटर पानी बहाया गया है। सरकारी अफसर खेतों में घूम-घूम कर सबसे फोटोजेनिक स्पॉट की खोज कर रहे हैं। आखिर एक खेत मिल ही गया -दरारों से चटकी ज़मीन सूखे का सजीव चित्रण कर रही है। खेत के मालिक हरिया को ५०० रुपये मिले हैं उसे आसमान में ताकते हुए फोटो खिंचवानी है। बड़ा सरकारी अमला -तमला आया और हरितपुर की बर्बादी पर घड़ियाली आँसू बहा कर चला गया।
सुबह अखबार में मंत्री जी की फोटो हरिया के खेत के साथ छपी है। हरे- भरे लॉन में गरम चाय की चुस्कियों के साथ मंत्री जी अखबार पढ़ रहे हैं। लॉन के बीचो- बीच चलते फौवारे में जल की बूँदें थिरक रही हैं। पर दूर हरितपुर गाँव में हरिया के खेत की चटकी दरारों में दफ़न उसके सपने अब भी सिसक रहे हैं।
आज कृषि राज्य मंत्री सूखे की मार झेल रहे गाँव हरितपुर का दौरा करने वाले हैं। हैलीपैड बनाने के लिए हज़ारों लीटर पानी बहाया गया है। सरकारी अफसर खेतों में घूम-घूम कर सबसे फोटोजेनिक स्पॉट की खोज कर रहे हैं। आखिर एक खेत मिल ही गया -दरारों से चटकी ज़मीन सूखे का सजीव चित्रण कर रही है। खेत के मालिक हरिया को ५०० रुपये मिले हैं उसे आसमान में ताकते हुए फोटो खिंचवानी है। बड़ा सरकारी अमला -तमला आया और हरितपुर की बर्बादी पर घड़ियाली आँसू बहा कर चला गया।
सुबह अखबार में मंत्री जी की फोटो हरिया के खेत के साथ छपी है। हरे- भरे लॉन में गरम चाय की चुस्कियों के साथ मंत्री जी अखबार पढ़ रहे हैं। लॉन के बीचो- बीच चलते फौवारे में जल की बूँदें थिरक रही हैं। पर दूर हरितपुर गाँव में हरिया के खेत की चटकी दरारों में दफ़न उसके सपने अब भी सिसक रहे हैं।