May 18, 2014

 'क्षणिका '

 "अक्सर आते हैं
 अतीत के सागर से
 कुछ उफ़ान
 लाते हैं संग में
 भूली यादों के
 ज्वार -भाटे
 मैं किनारे ही खड़ी
 इंतज़ार करती हूँ
 उनके लौट जाने का
 मिल जाते हैं कुछ सीप
 यादों के तुम्हारी
 सहेज लेती हूँ
 ज़ेहन में
 गुज़रे पलों के मोती "

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