'क्षणिका '
"अक्सर आते हैं
अतीत के सागर से
कुछ उफ़ान
लाते हैं संग में
भूली यादों के
ज्वार -भाटे
मैं किनारे ही खड़ी
इंतज़ार करती हूँ
उनके लौट जाने का
मिल जाते हैं कुछ सीप
यादों के तुम्हारी
सहेज लेती हूँ
ज़ेहन में
गुज़रे पलों के मोती "
"अक्सर आते हैं
अतीत के सागर से
कुछ उफ़ान
लाते हैं संग में
भूली यादों के
ज्वार -भाटे
मैं किनारे ही खड़ी
इंतज़ार करती हूँ
उनके लौट जाने का
मिल जाते हैं कुछ सीप
यादों के तुम्हारी
सहेज लेती हूँ
ज़ेहन में
गुज़रे पलों के मोती "
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