April 08, 2014




"राम तुम्हें लेना ही  होगा अब अवतार,
एक बार नहीं ,आना होगा  सौ-सौ बार।
हुई हानि धर्म की ,फैला पाप चहुँ ओर ,
कब आओगे तारण को हे! नाथ पालनहार।


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थकी वसुंधरा देखो ढोती पापियों का भार ,
कहाँ गया वो सत्यशील  आचरण सदाचार।
एक तुम्हारा ही सहारा ,मत करना अब निराश ,
आ जाओ हे!दशरथनन्दन करने को उपकार।


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आये थे तुम करने को एक दशानन का संहार ,
सहा तुम्हीं ने था तब भी हे!सृष्टि-सृजनहार।
हैं यहाँ अब शत मुख वाले शत-शत रावण ,
हो प्रगट अब कोटि-कोटि रूपों में कर दो चमत्कार। "

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