May 13, 2012

तूने फूँके प्राण तन-मन में, माँ तुझसे ही है ये जीवन.

तेरी साँसों की लय पर, सीखा मैंने साँसे लेना.
धड़का ये ह्रदय पहले, सुन कर तेरी ही धड़कन.
 
तूने फूँके प्राण तन-मन में ,माँ तुझसे ही है ये जीवन.

तेरे आँचल में ही देखा, पहला सुखद सपन सलोना.
तेरी बाँहों के  झूले में ,मिट  जाती  थी हर  थकन .

तूने फूँके प्राण तन-मन में ,माँ तुझसे ही है ये जीवन .

जीवन-पथ से चुन कर काँटे,सिखलाया सपनों को संजोना.
हर ठोकर पर गोद तुम्हारी,तुमने ही दिखलाया था दर्पण.

तूने फूँके प्राण तन-मन में,माँ तुझसे ही है ये जीवन.

बनाया स्वाभिमानी तुमने,तो तुम्ही से सीखा मैंने झुकना.
देकर संस्कारों की थाती ,बना दिया ये जीवन उपवन.

तूने फूँके प्राण तन-मन में ,माँ तुझसे ही है ये जीवन.

माँ क्या होती है ,ये मैंने माँ बन कर है जाना,
अपने आँचल के फूलोँ पर करती तन-मन-धन और जीवन अर्पण.

तूने फूँके प्राण तन-मन में माँ तुझसे ही है ये जीवन.

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