May 01, 2013

अमेरिका में आज़म खान की जामा  तलाशी पर आज़म  खान और उनके समर्थको ने इतना शोर क्यों मचा   रखा है -ये समझ के बाहर है। अमेरिका के बोस्टन शहर में हाल ही हुए धमाकों में इतनी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे-ये सबको पता है। अब वहाँ  सुरक्षा-व्यवस्था में सख्ती बरता जाना ,कोई अचरज की बात नहीं है। अमेरिका में तो आम दिनों में ही सुरक्षा के नियमों का कड़ाई  से पालन होता है। वहां हवाई-अड्डों पर तलाशी-प्रक्रिया से हर इंसान को गुज़रना  पड़ता है ,फिर चाहे वो किसी भी देश का नागरिक हो, नेता हो या खान ही क्यों न हो। हमारे देश के नेता कुछ ज्यादा ही ego-friendly हैं।यहाँ लाल बत्ती की गाड़ी,बन्दूक-धारी  गार्डों से घिरे  और हर जगह वी .वी .आइ .पी  इंतजामों में रहने वाले को अगर एयर-पोर्ट का साधारण अधिकारी तलाशी देने को कहेगा तो उसके अहम् को कितनी चोट पहुंचेगी -ये अंदाज़ा कोई भी लगा सकता है। अपने देश में भले ही आप माननीय गण  नियमों की धज्जियाँ उड़ायें पर अमेरिका या किसी भी दूसरे  देश में तो आपको वहाँ  के नियमों का पालन करना ही पड़ेगा। मुझे नहीं लगता कि , अमेरिका में जान -बूझ कर मुसलामानों के खिलाफ साजिश होती है,अगर ऐसा होता तो दुनिया भर के और भारत के भी इतने मुसलमान वहाँ  सुख-चैन से न रह रहे होते।
हाँ मैं  ये मानती हूँ कि ,वहाँ  की आव्रजन-नीति कठोर है और वे उसका कड़ाई  से पालन भी करते हैं।अगर उन्हें किसी पर शक भी हो जाए तो वे पूरी तसल्ली करके ही मानते हैं-इसमें क्या गलत है ?हमें भी उनसे सीख लेनी चाहिए।मै  ऐसा इसलिए नहीं कह रही कि ,मै  अमेरिका की बहुत बड़ी हिमायती हूँ। बात आज़म खान की तलाशी से शुरू हुई थी .......आज़म खान  समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर नेता हैं और मै  उन्हें वाजिब तौर पर ईमानदार भी मानती हूँ ,जो वे कहते हैं ,करते भी हैं।अच्छा होता अगर वे अमेरिका में हुई तलाशी को निरपेक्ष भाव से लेते और वापस आकर अपने देश में भी वैसी ही कड़ी सुरक्षा -व्यवस्था की हिमायत करते ...........पर ये तो हो न सका ...........जाते-जाते यही कहूँगी कि, 'हंगामा है क्यूँ बरपा ......तलाशी ही तो ली है,आपका वजूद तो  नहीं।

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