July 30, 2013

शीर्षक पढ़ कर आप जो सोच रहे हैं वैसा बिलकुल नहीं है ,जैक्स और जेनिफर कोई दो इंसान नहीं ,कुत्ते और कुतिया का नाम है।  ये खुशनसीब जोड़ा अमृतसर का है। आगामी ११ सितम्बर को इनकी शादी अमृतसर में बड़े धूमधाम से होना तय है ,शादी से पहले सगाई और मेंहदी की रस्म भी होगी। रुकिए ,और सुनिये…शादी के बाद हनीमून लन्दन में मनेगा।सुना है ,बड़ी महफ़िल सजेगी, मशहूर पंजाबी गायक साबर कोटी कार्यक्रम पेश करेंगे ,नामी -गिरामी लोग शादी में शामिल होंगे।आज सुबह अख़बार में ये खबर पढ़ कर पहले तो मुझे खूब हँसी  आयी ,फिर इन कुत्तों के मालिकों के मानसिक-दिवालियेपन पर तरस….. चलो पशु-प्रेमी होना अच्छी बात है ,और अगर धन अधिक है तो ,उसके संचय की प्रवृत्ति भी ठीक नहीं है,उसे खर्च करना ही चाहिए ,पर ये क्या तरीका हुआ ? जैक्स और जेनिफर को तो इल्म भी नहीं होगा कि ,जिस धन का कहीं सार्थक उपयोग हो सकता था ,उसे उनकी तथाकथित शादी पर बहाया जा रहा है, अतः उन्हें तो मैं दोष नहीं देती ,किन्तु श्री आर के खोसला और बावा महोदय (जैक्स और जेनिफर के मालिक ) की अक्ल पर पत्थर पड़े हैं क्या ?अरे! वे 'विवाह'जैसे पवित्र संस्कार का तो मजाक उड़ा  ही रहे हैं ,साथ ही मजाक उड़ा  रहे हैं उन हजारों-लाखों गरीब इंसानों का, जो पैसों की कमी के कारण  अपनी बेटियों का विवाह नहीं कर पाते हैं.उसी अमृतसर में उनकी कोठियों के आस-पास ही ऐसे लोग मिल जायेंगे। लानत है ,ऐसी दरियादिली पर जिससे किसी का भला ना हो और आग लगे ऐसे पैसों में जिसका सदुपयोग ना हो। विडंबना देखिये -जिस देश में गरीबों के खाने के लिए पाँच  रुपये की राशि पर्याप्त मानी  जाती हो ,वहीँ कुत्तो की शादी पर लाखों के वारे-न्यारे होते हैं। ऐसा विरोधाभास शायद ही दुनिया में कहीं और देखने को मिले…। हम-आप तो ऐसी ख़बरों पर अपना सिर  ही धुन सकते है… वो भी कब तक ?

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